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दिल्ली से आवारा कुत्ते Stray Dogs हटाने का फैसला: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

हाल ही में भारत के supreme court ने एक अहम आदेश जारी किया है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम्स में रखने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला बढ़ते डॉग बाइट केस, रेबीज संक्रमण और जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, इस आदेश पर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है—कुछ लोग इसे ज़रूरी कदम मान रहे हैं, जबकि कई पशु कल्याण संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।

आदेश में क्या कहा गया है?

सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगमों और प्रशासन को निर्देश दिया है कि:

  • 8 हफ्तों के भीतर सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाया जाए।
  • कुत्तों को स्टेरिलाइज (बांझ बनाना) और टीकाकरण करने के बाद भी उन्हें वापस सड़क पर रिलीज न किया जाए
  • सभी पकड़े गए कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम्स में रखा जाए।

यह फैसला क्यों लिया गया?

  1. डॉग बाइट केस में बढ़ोतरी – 2025 की पहली छमाही में ही दिल्ली में 35,000 से अधिक एनिमल बाइट केस और 49 रेबीज संक्रमण के मामले सामने आए।
  2. जन सुरक्षा की चिंता – खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए आक्रामक आवारा कुत्ते खतरा बन रहे हैं।
  3. रेबीज नियंत्रण – रेबीज एक जानलेवा बीमारी है और वैक्सीनेशन के बावजूद इसके केस दर्ज हो रहे हैं।

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया

  • दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह दिल्ली को “रेबीज-फ्री” बनाने की दिशा में अहम कदम है।
  • सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि केवल वैक्सीनेशन और स्टेरिलाइजेशन अब पर्याप्त नहीं हैं।
  • कुछ नेताओं, जैसे राहुल गांधी, ने पशु कल्याण के दृष्टिकोण से चिंता जताई है।

पशु कल्याण संगठनों का विरोध

PETA India, FIAPO, और Humane World for Animals India जैसे संगठनों का कहना है कि:

  • यह कदम Animal Birth Control (ABC) Rules, 2023 के खिलाफ है, जिसमें कुत्तों को स्टेरिलाइज और वैक्सीनेट करने के बाद उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ना अनिवार्य है।
  • बड़े पैमाने पर हटाने से “वैक्यूम इफ़ेक्ट” होगा—एक क्षेत्र से हटाए गए कुत्तों की जगह बाहर से और अनवैक्सीनेटेड कुत्ते आ जाएंगे।
  • इतने बड़े स्तर पर शेल्टर, स्टाफ और संसाधनों की भारी कमी है।

चुनौतियाँ और व्यावहारिक समस्याएँ

  • इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी – शेल्टर पहले से ही भरे हुए हैं।
  • उच्च लागत – अनुमानित खर्च ₹15,000 करोड़ से अधिक हो सकता है।
  • लॉजिस्टिक चुनौतियाँ – लाखों कुत्तों को पकड़ना, ले जाना और उनकी देखभाल करना आसान नहीं है।

फायदे और नुकसान

फायदे:

  • डॉग बाइट और रेबीज मामलों में कमी आ सकती है।
  • सड़कों पर जन सुरक्षा में सुधार होगा।

नुकसान:

  • पशु अधिकारों और कल्याण पर सवाल उठ सकते हैं।
  • लंबे समय में वैक्यूम इफ़ेक्ट से समस्या दोबारा बढ़ सकती है।
  • आर्थिक और प्रबंधन का भारी बोझ।

निष्कर्ष

दिल्ली से आवारा कुत्तों stray dogs को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला जन सुरक्षा और रेबीज नियंत्रण के लिए गंभीर कदम है, लेकिन इसके साथ नैतिक और व्यावहारिक चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। एक संतुलित समाधान वही होगा जो जनहित और पशु कल्याण—दोनों का सम्मान करे, जैसे बड़े पैमाने पर स्टेरिलाइजेशन, वैक्सीनेशन और जन-जागरूकता अभियान।

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