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रक्षाबंधन 2025: इतिहास, महत्व, पूजा विधि और Rakshabandhan की खास बातें

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क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन, जिसे प्यार से राखी का त्योहार भी कहा जाता है, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती है। बदले में भाई बहन की सुरक्षा का वचन देता है और उसे उपहार देता है। Rakshabandhan 2025 केवल एक रस्म नहीं बल्कि आपसी प्रेम, विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह त्योहार परिवार में एकजुटता और भाई-बहन के बीच अटूट बंधन को दर्शाता है। भारत में इसे सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त महीने में आता है। आधुनिक समय में रक्षाबंधन केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दोस्ती, सामाजिक एकता और आपसी सम्मान का भी संदेश देता है। यही वजह है कि यह त्योहार देशभर में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का इतिहास

रक्षाबंधन का इतिहास कई प्राचीन कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। महाभारत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण को युद्ध के दौरान चोट लगी, तो द्रौपदी ने अपने आँचल से कपड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। श्रीकृष्ण ने इस बंधन को रक्षा का वचन मानकर जीवन भर द्रौपदी की रक्षा की। एक और प्रसिद्ध कथा में रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा का अनुरोध किया, जिसे उसने स्वीकार किया और उनकी रक्षा की। इसके अलावा, इतिहासकार मानते हैं कि यह त्योहार वैदिक काल से चला आ रहा है, जब गुरुकुल में आचार्य अपने शिष्यों को रक्षा सूत्र बांधते थे। इन कथाओं से पता चलता है कि Rakshabandhan न केवल पारिवारिक बल्कि सामाजिक सुरक्षा और भाईचारे का प्रतीक है।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व केवल भाई-बहन के रिश्ते में ही नहीं बल्कि समाज में भाईचारे और एकता के भाव को जगाने में भी है। इस दिन का उद्देश्य प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करना है। राखी बांधना एक सांस्कृतिक परंपरा है, जो हमें याद दिलाती है कि हमें अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस दिन के माध्यम से हम त्याग, सेवा और निःस्वार्थ प्रेम के मूल्य सीखते हैं। Rakshabandhan पर रिश्तेदार एक साथ इकट्ठा होते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को जोड़ने का भी काम करता है। आधुनिक युग में, लोग राखी को ऑनलाइन भेजते हैं और वीडियो कॉल के जरिए भी यह परंपरा निभाते हैं, जिससे त्योहार का महत्व और बढ़ जाता है।

रक्षाबंधन कैसे मनाएं

Rakshabandhan मनाने की शुरुआत सुबह स्नान और पूजा से होती है। बहनें थाली में राखी, रोली, चावल और मिठाई सजाती हैं। भाई को तिलक लगाने के बाद, बहन उसकी कलाई पर राखी बांधती है और उसकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती है। बदले में भाई बहन को उपहार rakshabandhan gifts और मिठाई देता है। इस दिन घर में विशेष भोजन और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, जैसे गुजिया, बर्फी और लड्डू। अगर भाई-बहन दूर रहते हैं तो राखी डाक या ऑनलाइन भेजी जाती है। पूजा के दौरान भगवान गणेश, भगवान विष्णु या अपने कुलदेवता का आशीर्वाद लिया जाता है। रक्षाबंधन केवल घरों में ही नहीं बल्कि स्कूल, ऑफिस और समाज में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग एक-दूसरे की कलाई पर राखी बांधकर आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश देते हैं।

किन देशों में मनाया जाता है रक्षाबंधन

Rakshabandhan का उत्सव केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है, खासकर जहाँ भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं। नेपाल में इसे जनाई पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है, जहाँ पुरुष पवित्र धागा बदलते हैं और महिलाएँ राखी बांधती हैं। मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद, श्रीलंका, और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी यह पर्व मनाया जाता है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके में बसे भारतीय परिवार इस दिन एक साथ इकट्ठा होकर पारंपरिक तरीके से राखी का त्योहार मनाते हैं। भले ही ये देश भारत से दूर हैं, लेकिन वहां भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गूंज सुनाई देती है। इस तरह रक्षाबंधन आज एक वैश्विक त्योहार बन चुका है, जो भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को पूरी दुनिया में फैलाता है।

2025 का रक्षाबंधन क्यों है खास

साल 2025 का रक्षाबंधन खास इसलिए है क्योंकि यह शुभ योग और पूर्णिमा तिथि के संयोग में पड़ रहा है। इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह 8:05 से दोपहर 1:42 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, इस साल भद्रा का दोष नहीं रहेगा, जिससे पूरे दिन राखी बांधने का कार्य शुभ माना जाएगा। 2025 का रक्षाबंधन तकनीक और परंपरा का मेल भी दर्शाएगा, क्योंकि लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए दूर बैठे अपने भाई-बहनों से जुड़ सकेंगे। साथ ही, इस बार कई लोग इको-फ्रेंडली राखी और हस्तनिर्मित उपहारों को बढ़ावा देंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी जाएगा। इस वजह से 2025 का rakshabandhan केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी विशेष होने वाला है।



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