
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह उत्सव पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है, विशेषकर महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में इसकी रौनक अलग ही होती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री गणेश का अवतार हुआ था। इस अवसर पर भक्तगण श्री गणेश की आराधना करते हैं। कई स्थानों पर भगवान गणेश की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं, जिनकी नौ दिनों तक विधिवत पूजा होती है। इन दिनों में दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। नवें दिन, भक्तजन ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन के साथ गणेश प्रतिमाओं को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करते हैं। भगवान गणेश को ‘लंबोदर’ नाम से भी जाना जाता है। Ganesh chaturthi 2025 में क्यों है ख़ास आईये जानते हैं विस्तार से
Ganesh Chaturthi क्यों मनाई जाती है?
Ganesh chaturthi भारत का एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जिसे विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था। भगवान गणेश को सुखकर्ता, दुःखहर्ता, बुद्धि के दाता और शुभ-लाभ के देवता माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु गणपति बप्पा की प्रतिमा घर और पंडालों में स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं।
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का इतिहास बहुत प्राचीन है। माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने सबसे पहले महाराष्ट्र में इसे लोक उत्सव के रूप में प्रारंभ किया। बाद में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश शासन के समय गणेश चतुर्थी को सामूहिक पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत की ताकि लोगों में एकता बनी रहे और स्वतंत्रता आंदोलन को बल मिले।
आज भी महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पूरे भारत में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2025 में कब है?
साल 2025 में Ganesh chaturthi 2025 में 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी।
इस दिन से दस दिनों तक गणेश उत्सव चलता है और अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर पूजा कैसे करें? (पूजा विधि)
Ganesh chaturthi 2025 के दिन सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और घर के पूजा स्थल को साफ करके सजाएँ।
पूजा विधि:
- गणेश जी की प्रतिमा को लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
- गणपति जी को सिंदूर, दूर्वा, मोदक, फल-फूल अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाएँ और मंत्रों का जाप करें।
- ॐ गं गणपतये नमः
- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
- गणेश जी को 21 दूर्वा और 21 मोदक अर्पित करने का विशेष महत्व है।
- अंत में आरती करें और परिवार व पड़ोसियों को प्रसाद बांटें।
गणेश चतुर्थी का महत्व
- भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सफल होते हैं।
- यह पर्व समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाता है।
- लोग बुराइयों से दूर होकर नए संकल्प लेते हैं।
- मोदक और लड्डू भगवान गणेश का प्रिय भोग है जिसे बांटकर प्रसन्नता फैलती है।
गणेश उत्सव कैसे मनाया जाता है?
- महाराष्ट्र और मुंबई में बड़े-बड़े पंडाल सजते हैं।
- लोग 10 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा, भजन, कीर्तन करते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम, समाज सेवा और भंडारे भी आयोजित होते हैं।
- अंतिम दिन धूमधाम से “गणपति बप्पा मोरिया” के जयकारों के साथ विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी और पर्यावरण
आजकल लोग पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ECO friendly ganesh ji बनवा रहे हैं। यह मूर्तियाँ मिट्टी की बनी होती हैं और विसर्जन के बाद जल को प्रदूषित नहीं करतीं। इससे प्रकृति भी सुरक्षित रहती है।
Ganesh chaturthi से जुड़े रोचक तथ्य
- भगवान गणेश को सबसे पहले पूजने का नियम है।
- उन्हें 108 नामों से पूजा जाता है।
- गणेश जी का प्रिय भोग मोदक है।
- विदेशों में भी जैसे अमेरिका, कनाडा, यूके, दुबई में यह त्योहार भारतीय समुदाय द्वारा बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त से शुरू होकर 10 दिन तक चलने वाला है। यह सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है। भगवान गणेश की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए हर साल श्रद्धालु पूरे उत्साह और भक्ति के साथ गणपति बप्पा का स्वागत करते हैं।